मध्यप्रदेश का गठन 01 नवम्बर 1956 को तत्कालीन महाकौशल, छत्तीसगढ़, मध्य भारत, भोपाल, विन्ध्य प्रदेश तथा राजस्थान की सब डिवीजन सिंरोज को मिलाकर किया गया। विभिन्न घटकों में पंचायत राज व्यवस्था से संबंधित पृथक-पृथक कानून/व्यवस्थाएं प्रचलित थी। प्रदेश में पंचायत राज व्यवस्था में एक रूपता लाने की दृष्टि से वर्ष 1962 में मध्य प्रदेश पंचायत राज व्यवस्था को और अधिक सशक्त व कारगर बनाने की दृष्टि से समय-समय पर आवश्यक संशोधन कर वर्ष 1981 तथा 1990 में नये पंचायत अधिनियम बनाए गए। भारत के संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप प्रदेश में मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 (क्रमांक 1 सन् 1994) दिनांक 25 जनवरी 1994 से लागू किया गया है।
राज्य सरकार ने पंचायत राज संस्थाओं के दिन प्रतिदिन बढती हुई गतिविधियों एवं दायित्वों को दृष्टिगत रखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधीन स्वतंत्र पंचायत राज संचालनालय के गठन का निर्णय दिनांक 06 दिसंबर 2007 को लिया। यह संचालनालय 1 अप्रैल 2008 से कार्यरत है। आयुक्त पंचायती राज के प्रशासकीय नियंत्रण में जिला स्तर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यरत है। इनके अधीन पंचायत प्रकोष्ठ अधिकारी कार्यरत है। विकासखण्ड स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत सचिव कार्यरत है।
पंचायत विभाग में प्रशासकीय नियंत्रण एवं नियमन के लिए राज्य मंत्रालय में अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, उप सचिव, अवर सचिव, तथा अन्य अमला कार्यरत है। यह अमला विभाग की नीतियों के निर्धारण तथा नियमन का कार्य करता है। संचालनालय स्तर पर आयुक्त, अपर संचालक, संयुक्त संचालक, उप संचालक, सहायक संचालक एवं अन्य अमला कार्यरत है। यह अमला विभागीय योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ मैदानी अमले पर भी प्रशासकीय नियंत्रण रखता है।